CHUDAKARM SANSKAR/ मुंडन संस्कार / चूड़ाकर्म

धर्म में मुंडन संस्कार में बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर उसके बाल उतारे जाते हैं और यज्ञ किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है।.

मुंडन संस्कार बालक के जन्म के तीसरे वर्ष बा 1 वर्ष में करना उत्तम होता है उत्तरायण काल शुक्ल पक्ष मैं जिस दिन आनंद मंगल हो उस दिन यह संस्कार करना चाहिए

मुंडन संस्कार का बहुत अधिक महत्व बालक के स्वास्थ्य से है जब बालक का सही समय पर मुंडन संस्कार होता है तो उसके दात बहुत अधिक सुंदरता होते है मुंडन संस्कार के द्वारा बालक के मस्तिष्क का भी बहुत अधिक विकास होता है मनुष्य के मस्तिष्क के 2 भाग होते हैं जिसे वृहत मस्तिष्क और लघु मस्तिष्क कहते हैं मुंडन संस्कार के द्वारा बालक के इन दोनों ही मस्तिष्क के भागों का पूर्ण विकास होता है इसीलिए ऋषि यों ने इस संस्कार का बालक के हित को ध्यान में रखते हुए बहुत अधिक महत्व बताया है

WhatsApp

Call Now