सोलह संस्कारों में अंत्येष्टि कर्म अंतिम संस्कार है | महर्षि दयानंद सरस्वती जी इसकी विधि की समाप्ति "इति मृतक संस्कार विधि:" शब्दों से करते हैं इसके पश्चात शरीर अथवा मृतक संबंधी कोई कर्म शेष नहीं रह जाता | शरीर संबंधी अंतिम यज्ञ करने के कारण इसे अंत्येष्टि कहा गया है
ऐसे संस्कार को वेद मंत्रों द्वारा संपन्न किया जाता है