स्वस्तिवाचन और शांति करण की परंपरा अत्यंत प्राचीन है श्रीमान कर्म के अतिरिक्त भविष्य के मंगल अथवा कल्याण के लिए स्वस्तिवाचन किया जाता था और अनीश का अथवा उत्पाद की शांति हेतु शांति करण | जब राम वनवास को जाते हैं तो माता कौशल्या उनके लिए स्वस्तिवाचन कर्म संपन्न करती हैं